Chandrayaan 3: कहां पहुंचा चंद्रयान-3, बोले पीएम मोदी- चंद्रयान की सफलता पूरी मानवता के लिए शुभ संकेत

Chandrayaan 3: कहां पहुंचा चंद्रयान-3, बोले पीएम मोदी- चंद्रयान की सफलता पूरी मानवता के लिए शुभ संकेत

चंद्रयान-3 अभियान ने धरती से चंद्रमा की ओर अपना सफर शुरू कर दिया है। यह अभियान विश्व भर में भारत की प्रशंसा पा रहा है। इस महत्वपूर्ण कार्य में, भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने भी भारत को बधाई दी है। प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग के ट्वीट के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि चंद्रयान-3 की सफलता मानवता के लिए एक शुभ संकेत है। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की तीसरी महत्वपूर्ण परियोजना के लिए शुभकामनाएं दी हैं और प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग का आभार व्यक्त किया है। ISRO ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है, जिसका मुख्य लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है।

1. भूटान के प्रधानमंत्री ने कीया ट्वीट किया था?

शीरिंग लोटे, भूटान के प्रधानमंत्री, ने चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बारे में एक ट्वीट किया था। उन्होंने इसरो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह ही खुशी जताई और अपनी ट्वीट में कहा, "मैं चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण को लेकर इसरो और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह ही बेहद खुश हूं। यह क्षितिज से परे विज्ञान को समझने और कुछ नया सीखते रहने की आपकी दृष्टि एवं प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। भारत और मानवता को इस मिशन से अत्यधिक लाभ होता है।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ट्वीट का उत्तर देते हुए लिखा, "महामहिम, आपके गर्मजोशी भरे शब्दों के लिए धन्यवाद। चंद्रयान की सफलता यकीनन पूरी मानवता के लिए शुभ संकेत है।"

2. फिलहाल कहां है चंद्रयान-3

फिलहाल चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) चांद पहुंचने के रास्ते पर है, लेकिन वर्तमान में यह कहां है, यह जानने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने वैज्ञानिकों द्वारा जानकारी जारी की है। इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 अब 41762 किलोमीटर गुना 173 से पृथ्वी की कक्षा के चारों तरफ अंडाकार चक्कर लगा रहा है। यह विज्ञान यान पहली ऑर्बिट मैन्यूवरिंग सफलतापूर्वक पूरी कर लिया है, जिससे यह सही ट्रैक पर है और उसके सभी उपकरण सही से काम कर रहे हैं। इसरो के वैज्ञानिकों ने इसे उसकी कक्षा में आगे बढ़ाने की पहली प्रक्रिया भी पूरी कर ली है।

चंद्रयान-3 एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन है, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर अध्ययन करना है। यह मिशन चंद्रयान-2 के बाद आने वाला दूसरा अवतारित विज्ञान यान है, जो भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।

चंद्रयान-3 के माध्यम से, भारतीय वैज्ञानिकों का मुख्य लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर भूमिका के बारे में और अधिक जानकारी जुटाना है, साथ ही वहां के भौतिकी और भौगोलिक परिप्रेक्ष्य को समझने का प्रयास करेंगे। इसके जरिए भारत वैज्ञानिक समुदाय चंद्रमा पर होने वाले अध्ययनों में एक महत्वपूर्ण योगदान देने का उद्देश्य रखता है।

3. चांद पर प्लाज्मा घनत्व के साथ उसमें होने वाले बदलाव का होगा अध्ययन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 15 सालों में अपना तीसरा चंद्र मिशन शुरू किया है, जिसमें चंद्रमा पर प्लाज्मा घनत्व और विभिन्न बदलावों का अध्ययन किया जाएगा। इस मिशन के तहत, श्रीहरिकोटा से एक उपग्रह द्वारा चंद्रमा की यात्रा का प्रारंभ किया गया है, जिसका निर्माण भारतीय वैज्ञानिकों ने किया है। यह मिशन 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंड करने का प्रयास करेगा।

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया है कि चंद्रमा पर वायुमंडल तो नहीं है, लेकिन इसके सतह पर कई गैसें मौजूद हैं, जो आयनित होती हैं और सतह के करीब पाई जाती हैं। ये गैसें दिन और रात के साथ बदलती रहती हैं, जिससे चंद्रमा की वायुमंडलीय प्रकृति को समझना महत्वपूर्ण है।

चंद्र मिशन में एक लैंडर और उपकरण जैसे रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फियर एंड एटमॉस्फियर जैसे उपकरण साथ भेजे गए हैं। इन उपकरणों के माध्यम से चंद्र सतह के नजदीक प्लाज्मा घनत्व और समय के साथ इसमें होने वाले बदलावों का मापन किया जाएगा।

इस मिशन के माध्यम से चंद्रमा के गैसों के घनत्व, संरचना और उनमें होने वाले बदलावों का अध्ययन किया जाएगा, जो वैज्ञानिकों को चंद्रमा के वायुमंडल के बारे में नई जानकारी प्रदान कर सकता है। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण कदम है और वैज्ञानिकों के लिए चंद्रमा के रहस्यों को समझने में मदद कर सकता है।

4. चंद्र परत एवं आवरण की संरचना का अध्ययन किया जाएगा

यह अनुसंधान न केवल चंद्रमा के विज्ञान को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में विश्वस्तरीय पहचान भी प्रदान करेगा। इस मिशन से प्राप्त नई जानकारी से वैज्ञानिक समुदाय को चंद्रमा की समझ में एक बड़ी उन्नति की उम्मीद है जो अंततः मानवता के लिए अधिक उपयोगी तकनीकों के विकास में मदद कर सकता है।

इस अध्ययन में, चंद्र परत और उसके आवरण की संरचना का अध्ययन किया जाएगा। इसके अलावा, हम रोवर अध्ययन करेंगे जो जांचेगा कि छोटे वातावरण, परमाणु वातावरण और आवेशित कणों में कैसे अंतर होता है। इसे बहुत रोचक माना जाता है। हम यह भी जानना चाहते हैं कि रेजोलिथ में विद्युतीय या तापीय विशेषताएं मौजूद हैं या नहीं। लूनर सीस्मिक एक्टिविटी के लिए यंत्र लैंडिंग स्थान के आसपास भूकंपीयता को मापेगा और चंद्र परत और उसके आवरण की संरचना का अध्ययन करेगा। इसरो के प्रमुख ने बताया है कि हम एक यंत्र को गिराएंगे और कंपन को मापेंगे - इसे हम मूनक्वेक या आंतरिक प्रक्रियाओं के रूप में जानते हैं। लैंडिंग स्थान के आसपास चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों की मूलभूत संरचना का निर्धारण करने के लिए लेजर-इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप का उपयोग किया जाएगा, साथ ही अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर सतह की रासायनिक और खनिज संरचना के अध्ययन के लिए उपयोग किया जाएगा।"

5. एक्सोप्लैनेट की खोज में भी मदद करेगा चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 एक अंतरिक्ष मिशन है जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा चलाया जा रहा है। यह मिशन मानव द्वारा बाधित किए जाने वाले एक्सोप्लैनेट की खोज में मदद करने के उद्देश्य से अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है। इस मिशन के माध्यम से भारत एक उच्च स्तरीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम में अपने प्रगति को दिखाने का प्रयास कर रहा है।

चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में एक्सोप्लैनेट की खोज करना है, जिनमें जीवन का अस्तित्व संभव हो सकता है। इसके लिए, चंद्रयान-3 एक विशेष उपकरण के साथ सम्पन्न होगा जो वैज्ञानिकों को संकेतों और डेटा के आधार पर ऐसे संदेशों की खोज में मदद करेगा जो अन्य एक्सोप्लैनेट पर जीवन को संभव बना सकते हैं।

नेहरू तारामंडल की प्रोग्रामिंग मैनेजर प्रेरणा चंद्रा ने हाल ही में इसरो के साथ-साथ सभी भारतीय नागरिकों को अंतरिक्ष मिशन के लिए उत्साहित करने का बयान किया था। चंद्रयान-2 मिशन के अनुरोधित सफलतापूर्वक लैंडिंग नहीं होने के कारण, कुछ लोगों में डर की भावना थी। हालांकि, चंद्रयान-3 में अब तक हमने रॉकेट के सभी चरणों को सफलतापूर्वक पार किया है और इसलिए हम अब अंतरिक्ष में हैं। यह मिशन हमें बाहरी अंतरिक्ष में अन्य एक्सोप्लैनेट की खोज में मदद करेगा, जहां ऐसे जीवन-संबंधी संकेतों का पता चल सकता है जो जीवित जीवन को संभाल सकते हैं। नासा भी लंबे समय से एक्सोप्लैनेट की खोज कर रहा है और यह चंद्रयान-3 मिशन उनके अनुसरण को भी पूरा करेगा।

Previous Post Next Post